Sunday, 15 March 2020

आम आदमी की आवाज....

जुल्म न सहो हाथ उठाओ यारो
दुश्मन की ईंट से ईंट बजाओ यारों
बहुत सह लिया सितम तुमने यारों
सबने कहा सुन लिया तुमने यारो
एक बार मेरा कहा भी तो मानो 
अंदर भड़कती ज्वाला को जानो
भड़काओ उसे पग बढ़ाओ यारों
जुल्म न सहो हाथ उठाओ यारो।
                                           

Monday, 25 November 2019

अकेलापन..

हर रात अंधेरे कमरे में
जब मैं सोने जाता हूं।
अपने सूने कमरे में
तेरा ही चेहरा पाता हूं।
                             तेरा साया हरदम मेरा
                             पीछा करता रहता है।
                             मेरा मन तेरी यादों में
                            खोया खोया सा रहता है।